शुक्रवार, 25 मई 2012

सरदार के ऐतिहासिक कार्य :-सोमनाथ का मंदिर

सरदार का हृदय धार्मिक भावनाओं से ओत-प्रोत था | एक हिन्दू के नाते वह सोमनाथ के महत्त्व को अनुभव करते थे | उसका प्रथम मंदिर प्रथान शताब्दी में बनाया गया था | धन-संपत्ति का वहाँ इतना अधिक भंडार था की मुस्लिम आक्रमणकारियों ने सदा ही उसे अपना लक्ष्य बनाया तथा उस पर कई बार आक्रमण किया | यहाँ तक की सन् १०२४ में महमूद गजनवी ने उसके तृतीय मंदिर को नष्ट किया | इसीलिए सोमनाथ का मंदिर भारत की धार्मिक भावना का प्रतीक था |

भव्य ऐतिहासिक सोमनाथ शिखर
सरदार की सोमनाथ की यात्रा :-----
  १३ नवम्बर १९४७ को सरदार पटेल ने भारत सरकार के तत्कालीन निर्माण-मंत्री श्री गाडगिल तथा जामनगर के जामसाहब के साथ सौराष्ट्र प्रदेश में सोमनाथ का दौरा किया | मंदिर की दुर्दशा देख कर उनका ह्रदय विदीर्ण हो गया और उन्होंने मंदिर का पुनर्निर्माण करने का संकल्प किया | सरदार पटेल के इस संकल्प की प्रतिक्रिया देश के कोने-कोने में हुई | धन -राशि एकत्रित  हो गई | भारत सरकार ने कन्हैयालाल माणिकलाल  मुंशी की अध्यक्षता में एक सलाहकार समिति नियुक्त की | सौराष्ट्र सरकार ने अपने राजप्रमुख की अध्यक्षता में एक  ट्रस्टी बोर्ड स्थापित किया, जिसके अन्य सदस्यों में श्री मुंशी तथा श्री गाडगिल भी थे |
सोमनाथ में सरदार जम्सहिब सहित उसके पुनर्निर्माण का निश्चय कर रहे हैं

           अब सोमनाथ के प्राचीन मंदिर का स्थान खोजने के लिए खुदाई की गई | भारत सरकार के पुरातत्व विभाग के प्रतिनिधियों ने इस कार्य में सहायता दी | इस अन्वेषण से सोमनाथ के एक के ऊपर एक पांच प्राचीन मंदिर भूगर्व में मिले |

अटल-अविचल राष्ट्रशिरोमणि सरदार
            अंत में यह निर्णय किया गया की प्राचीन मंदिर के खंडहरों को एक नए मंदिर का निर्माण किया जाए | मूल पांचवे मंदिर के आधार पर नए मंदिर का ढांचा तैयार किया गया तथा उसे कार्य रूप में परिणत करने की व्यवस्था की गई | इस मंदिर की मुर्तिप्रतिष्ठा का समारोह ११ मई १९५१ को किया गया और उसमें राष्ट्रपति डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने भी भाग लिया | इस मुर्तिप्रतिष्ठा में शास्त्रीय विधि के अनुसार सभी महाद्वीपों की मिट्टी तथा सभी महासागरों और पवित्र नदियों के जल का उपयोग किया गया | इस प्रकार सरदार पटेल के संकल्प द्वारा  भारत की एक महती राष्ट्रीय आकांक्षा की पूर्ति की गई |

(सोमनाथ का प्रथम मंदिर ईसा की प्रथम शताब्दी में बनाया गया था | महमूद गजनवी ने १०२४ में सोमनाथ के तृतीय मंदिर को नष्ट किया था | )

3 टिप्‍पणियां:

  1. ओम नमः शिवाय ........इस पृथ्वी पे एक ही सत्य शास्वत रहेगा ..शिव
    पर भक्ति में अंधे ना होना ....शिव आपकी आत्मा कि शक्ति को जागते है व् दुष्टता का नाश करने व् परोपकार,शांति,समृध्धि कि शक्ति देते है ..एक वो ही आत्मा है जो आज भी है पर जन्म नही ले सकती ..शिव ने योग से अपनी आत्मा को शक्ति केंद्र के रूप में स्थायी किया हुआ है ..हम चाहे तो उनसे संपर्क कर सकते है ....उनको अनुभव कर सकते है ..वो भी एक मानव ही थे ..उनके पास उस युग कि विज्ञानिक शक्तियां थी जिस से उन्होंने दिव्या व् विज्ञानिक कर्म किये व् समाज के भले के लिए लड़े ...पर सोमनाथ पर हुए आक्रमण में लोगो को भ्रम था कि इसपे आक्रमण होगा तो शिव नेत्र खुलेगा व् मुग़ल सेना भस्म हो जायेगी .....जो के हार का कारण बना......शिव कि साधना से अपनी आत्मा कि शक्ति बढ़ानी थी ना के लड्डू..सोना चांदी चढा के मूर्खता बढानि थी ...दीपक तले अँधेरा होता है ..भारत में सत्य साबित होता है ....जहाँ धर्म का पूर्ण विज्ञान फैला हुआ है व् वेदों में विज्ञान भरा हुआ है वहा अज्ञान भी बहुत है.....ओम नमः शिवाय

    जवाब देंहटाएं
  2. very good blog.
    Can i use your blog posts with your name ??

    जवाब देंहटाएं