मंगलवार, 22 मई 2012

धौला गुजरी - अभूतपूर्व वीरांगना

पलवल से पूर्व दिशा में गुलावद नमक ग्राम में सन् १९४७ के ज्येष्ठ दशहरा से अगले दिन एकादशी को एक भयंकर हिंदू-मुस्लिम दंगा हुआ, जिसमें ईंट , पत्थर, लाठियों तथा बल्लमों के अतिरिक्त बंदूकों का भी खुलकर किया गया | हिंदुओं की संख्या अधिक होने पर भी उनके पास बंदूकें आदि कम ही थीं, किन्तु मुसलमानों की संख्या कम होने पर भी उनके पास लगभग सौ बंदूकें थी | इससे हिंदू लोग पराजित होकर भाग निकले | धौला गुजरी  युद्ध करने वाले हिंदुओं को जहा से लाकर जल पीला रही थी, उस स्थान पर भी कुछ युद्ध-रत युवक आकार छिप गए थे |

        उक्त गुजरी हिंदुओं को मैदान छोड़ते देख रोष में भर गई | उसने मकान की छत पर चढ़कर ऊपर से मुस्लिम बंदूकधारियों के सरदार के सिने को लक्ष्य करके एक ईंट इतने वेग से मारी----जो मुस्लिम  सरदार के सीने में लगी और उससे वह वहीँ धराशायी हो कर तत्काल मर गया | फलतः शेष मुस्लिम बंदूकची भी भाग निकले | इसपर धौला गुजरी ने छिपे हुए हिंदू युवकों को भागते हुयों का पीछा करने को ललकारा और स्वयं भी वहीँ पड़ा भला लेकर उनपर टूट पड़ी | फलतः एक और आक्रामक भी घायल होकर वहीँ गिर पड़ा | हिंदू युवकों में इस दृश्य ने सहस का संचार कर दिया और वह आक्रमण करने वालों पर टूट पड़े | आक्रमणकारी मुस्लिम भाग गये और ग्राम की रक्षा हो गयी | किन्तु धौला गुजरी के भी बाएँ कंधे के निचे एक गोली लगी, जिसका तत्काल उपचार कर उसे बचा लिया गया |

          भारत के १५ अगस्त १९४७ को स्वतंत्र होने के पश्चात समस्त इलाके वालों तथा जिला कोंग्रेस कमेटी के अनुरोध पर सरदार पटेल अक्टूबर मॉस में पलवल होते हुए होडल पहुंचे | इस अवसर पर किये हुए एक विशेष समारोह में धौला गुजरी को रथ में बिठाकर सरदार के सम्मुख उपस्थित किया गया | सरदार ने उसकी वीरता की प्रशन्सा करते हुए निम्नलिखित भाषण दिया :---

           "जिस इलाके मे धौला गुजरी जैसी वीर महिलाएं रहती हो, वहां के पुरुष मुझ से सहायता मांगें, यह ठीक नहीं लगता | आप झगड़े न करें, बहादुरी से रहें मैं अपना कर्तव्य भली प्रकार समझता हूँ | जो मुसलमान मुस्लिम लीग को वोट देते रहे हैं और पकिस्तान जाना चाहते हैं वे जाएँ | जो यहाँ रहना चाहते हैं उनकी हम रक्षा करेंगे, किन्तु जो लोग गुण्डागिरी करते हैं उन्हें कुचल दिया जायेगा | यह न भूलें की सरकार के हाथ बड़े लम्बे हैं |"

             धौला गुजरी की सरकार द्वारा की हुयी प्रसंशा से प्रोत्साहित होकर पंजाब सरकार ने उसे उसकी वीरता के उपलक्ष में एक सहस्त्र रूपया पारितोषिक दिया |