मंगलवार, 30 अक्तूबर 2012

सरदार पटेल गाथा

सरदार पटेल विभिन्न मुद्रा में
बच्चों भारत में जन्मा था, ऐसा पुरुष महान 
लोग उसे कहते वह है, लोहे का इंसान 

वल्लभ भाई बचपन से ही, थे निर्भय स्वाधीन
कठिन समय में भी वे होते, कभी न थे नत दिन

बाधाओं से भीड़ जाते थे, बन कर अटल पहाड़
सदा किया करते थे निर्भय, खतरों से खिलवाड़

लगी हुई थी तब भारत में, मुक्ति समर की आग
गांधीजी का आवाहन सुन, देश उठा था जाग

हुए प्रभावित गांधीजी से, बढे साथ निर्द्वंद
विश्वासी थे बापू के, बढते साथ अमन्द

सचमुच था सौभाग्य देश का, था अद्भुत संयोग
वल्लभ भाई-जैसे का था गाँधी को सहयोग

छोड़ वकालत फूंका पथ-पथ, असहयोग का मन्त्र
अंग्रेजों के सफल ना होने, देते थे षड्यंत्र

रक्खेगा इतिहास बारडोली, सत्याग्रह याद 
नौकरशाही के जुल्मों की, रही न थी तादाद

इस सत्याग्रह ने पाया था, देश व्यापी विस्तार
बापू ने था उन्हें पुकारा, कह सब का सरदार

मुक्त देश था नया जोश था मिला सुभ्र वरदान
वल्लभ भाई ने भारत का, किया नवल निर्माण

किया एक ने भारत का भू-अखिल कीर्ति विस्तार
एक राष्ट्र का संयोजक था, शिल्पी कुशल अपार

सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण हेतु निश्चय करते हुए

बिखरे राज्यों को मोती का, गूँथ मनोहर हार
पूर्ण किया सदियों का सपना, धन्य-धन्य सरदार
                                 
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