हमारे प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र बाबु के निजी सचिव श्री वाल्मीकि चौधरी ने "राष्ट्रपति भवन की डायरी "नमक अपने ग्रन्थ में २६ फ़रवरी १९५० के विषय में लिखा है की :
"आज सरदार वल्लभभाई पटेल की कोठी पर राष्ट्रपतिजी गाँधी स्मारक तिथि की एक सभा में भाग लेने गए | . . . सभा के पश्चात दोपहर का भोजन राष्ट्रपतिजी ने सरदार वल्लभभाई पटेल के साथ उनकी कोठी नं. १ औरंगजेब रोड पर ही किया | सरदार वल्लभभाई के साथ राष्ट्रपति का बहुत प्रेम सम्बन्ध रहा है | सरदार हास्य प्रेमी हैं |
"सरदार बल्लभभाई से श्री जवाहरलालजी का मेल नहीं बैठ रहा है | सरदार दुखी रहते हैं | देशी रजवाड़ों का निब्ताराकर रहे हैं | बड़े महत्व के काम में लगे हुए हैं | काश्मीर जवाहरलाल पर छोड़ रखा है कहते थे कि 'सब जगह तो मेरा वश चल सकता है, पर जवाहरलाल कि ससुराल में मेरा वश नहीं चलेगा | वह यह भी कहते थे कि 'शेख अब्दुल्ला वगैरह क्या राष्ट्रीय मुसलमान रहेगा ? इस देश में तो एक ही राष्ट्रीय मुसलमान है और वह है जवाहरलाल |'
इस तरह कि बहुत सी बातें कीं | वह यह भी कहते थे कि लाचार हैं, क्योंकि गांधीजी को वचन दे चुके हैं कि जवाहरलाल जैसा चाहेंगे वैसा ही उनके काम में सहयोग देते रहेंगे |"
क्रमशः जारी.......................
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